Madhumalti bel वास्तु के साथ-साथ सेहत के लिए भी हैं फ़ायदेमंद

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Madhumalti bel : सफेद, गहरे लाल, गुलाबी और पीच रंगों के गुच्छों में लटकते मधुमालती बेल के फूलों ने आपका भी मन अपने और आकर्षित किया होगा । madhumalti bel घर के वास्तुशास्त्र ( vastu tips ) के काम आता हैं। क्या आप जानते हैं, मधुमालती के फूल अपना रंग बदलते है। बता दें, ये फूल पहले दिन सफ़ेद रंग के खिलते हैं। दूसरे दिन वही फूल गुलाबी रंग में बदल जाता है और तीसरे दिन गाढ़े लाल रंग में बदल जाते है। वास्तव में, फूलों का यह रंग बदलना विभिन्न कीटों को परागण के लिए आकर्षित करने के लिए इस बेल की प्रकृति की चतुराई है।

चायनीज में इसे हनीसकल (Chinese honeysuckle) और अंग्रेजी में इसे रंगून क्रीपर (Rangoon creeper) कहते हैं। यह बंगाली में मधुमंजरी, तेलुगु में राधामनोहरम, आसामी में मालती और झुमका बेल नाम से जाना जाता है। Combretum Indicum मधुमालती का बोटैनिकल नाम है।

मधुमालती की लता 2.5 से 8 मीटर ऊंची होती है। यह फूल आकर्षक और मनमोहक होते हैं। madhumalti bel मनभावन सुगंध से घर भी महकाता है। मधुमालती की लता आसानी से लग जाती है और इसे कोई खास देखभाल की जरुरत नहीं चाहिए। गर्मियों में यह घर को तपती धूप से बचाते हैं और सघन छाव देते हैं। इसमें छोटे सफ़ेद फल भी हैं जो बाद में भूरे हो जाते हैं। इसके पत्ते चार से पांच इंच बड़े होते हैं। मधुमालती की जड़, फूल, पत्ती और फल से रोगों के इलाज किया जाता हैं।

मधुमालती बेल कैसे लगाएं

मधुमालती बेल को किसी भी मिट्टी में लगा सकते हैं। बता दें, मिट्टी में थोड़ी नमी हो, लेकिन पानी नहीं रुकना चाहिए। इस कलम को लगाना बहुत ही आसान है। चलिए जानते हैं इसे कैसे लगाए। सबसे पहले 3 से 4 इंच की लंबी कलम लें। जिसमें 2 या 3 पत्तियां हों। 1 इंच का हिस्सा इस कलम को मिट्टी में दबा दें। इसे थोड़ी छाया वाली जगह पर इसे रखें या ऊपर से कुछ कवर लगा दें। इसे दिन में दो बार उचित मात्रा में पानी देते रहें।इस कलम को लगाने के लिए महंगी खाद की कोई आवश्यकता नहीं हैं। इसके लिए आर्गेनिक खाद ही (जैसे गोबर या सूखे पत्तियों से बना खाद) सही होता हैं।

मधुमालती के पेड़ का आयुर्वेद में उपयोग

  • सर्दी : जुकाम होने पर मधुमालती के फूल और पत्ते का काढ़ा सेहत के लिए अच्छा होता हैं। इस काढ़े को दिन में दो या तीन बार पीने से सेहत को लाभ होगा।
  • डायबिटीज होने पर 5 से 6 मधुमालती के पत्तों या फूल का रस निकालकर 4 मिली पिने से सेहत अच्छी रहती हैं। इस रस को दिन में दो बार पिएं।
  • LYC[ ल्यूकोरिया ] को दूर करने के लिए मधुमालती की पत्ती और फूल का रस पीना चाहिए।
  • madhumalti bel की पत्तियों को उबालकर पीने से बुखार के दर्द से राहत मिलती हैं।
  • अगर आपका पेट फूला हुआ लगता हैं तो इसकी पत्ती को उबालकर पीने से पेट को राहत मिलती है।
  • मधुमालती के फलों का काढ़ा दांत के दर्द को भी दूर करता है।
  • इसकी पत्तियों और फल से किडनी की सूजन और जलन जैसी समस्या का इलाज किया जाता हैं।
  • पेट के कीड़े को दूर करने के लिए मधुमालती की जड़ों का काढ़ा उपयोगी में लाया जाता है। इस काढ़े से गठिया रोग भी ठीक होता है।

मधुमालती वास्तु टिप्स ( vastu tips )

  • यदि घर में मधुमालती की बेल हो तो घर के अधिकांश सदस्य का स्वस्थ निरोगी रहता हैं ।
  • मधुमालती जिस तरह हमारी आंखों को सुंदर लगती है। उसी तरह मधुमालती बेल हमारे जीवन में भी बहार लेकर आती है।
  • मधुमालती बेल आपके घर के बगिया में है तो इससे नकारात्मकता दूर रहती है। साथ ही मधुमालती बेल घर के भीतर नकारात्मकता आने नहीं देती ।
  • अगर मधुमालती की बेल घर के ऊपर छा रही है तो यह बुरी ताकतों से बचाती है।
  • जैसे घर पर मधुमालती बेल चढ़ती या फैलती है तो इसके साथ घर के सदस्यों की तरक्की भी होने लगती है।
  • मधुमालती की बेल धन, सेहत, खुशी, सौभाग्य, सुंदरता, समृद्धि, संपन्नता और सकारात्मकता का प्रतीक है।
  • यह बेल घर में उत्तर या पूर्व दिशा में बेहतर फलदायी होती है।
  • इससे घर के सदस्यों का आपसी सम्मान बना रहता है। साथ ही रिश्तों में मधुरता आती है।
  • जैसे-जैसे इसके फूल एक साथ खिलते हैं। उसी तरह यह परिवार को खुशियों का वरदान देती है। जिस से परिवार में एकजुट बनती है।

Disclaimer: यहां दी गई सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि, Good Reader Hub किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरुर लें ।