बाबा नीम करोली जी के बारे में 9 रोचक तथ्य 

नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था। 17 वर्ष की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी

1958 में बाबा ने अपने घर को त्याग दिया था  उस दौरान लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा सहित वे कई नामों से जाने जाते थे

माना जाता है की बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चल पड़ी। तभी से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया। नीम करोली वाले बाबा के सैंकड़ों चमत्कार के किस्से हैं

उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर नैनीताल में आश्रम बनाने का विचार किया था। बाबा नीम करौली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी

नीम करोली बाबा का समाधि स्थल नैनीताल के पास पंतनगर में है। यह ऐसी जगह है जहां कोई भी मुराद लेकर जाए तो वह खाली हाथ नहीं लौटता। यहां बाबा का समाधि स्थल भी है

नीम करोली बाबा के भक्तों में एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स शामिल है। कहा जाता है कि इस धाम की यात्रा करके उनका जीवन बदल गया

15 जून को देवभूमि कैंची धाम में मेले का आयोजन होता है और यहां देश-विदेश से बाबा नीम करौली के भक्त आते हैं। इस धाम में बाबा नीम करौली को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है

नीम करोली बाबा के चमत्कारों पर  मिरेकल ऑफ़ लव नामक एक किताब लिखी इसी  बाबा हमेशा कंबल ही ओड़ा करते थे। आज भी लोग जब उनके मंदिर जाते हैं तो उन्हें कंबल भेंट करते हैं

बाबा नीम करौली महाराज के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। बड़े पुत्र अनेक सिंह अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं, जबकि कनिष्ठ पुत्र धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर के पद पर रहे थे

 उनकी मृत्यु  11 सितंबर 1973 को वृंदावन में हुई थी । बताया जाता है कि बाबा के आश्रम में सबसे ज्यादा अमेरिकी ही आते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच स्थित है