Heeramandi: महान फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली की फिल्मों ने हमेशा से ही दर्शकों का दिल जीतते आई है। हाल ही में संजय लीला भंसाली की आने वाली फिल्म ‘हीरामंडी’ सुर्खियों में है।
जाने इस पोस्ट में क्या क्या है
Toggleसाथ ही आज इस सीरीज का मोशन पोस्टर जारी किया गया है, जिसमें तवायफों को शक्ति, प्रेम और आजादी का संघर्ष करते हुए दिखाया गया है। यह कैसे हुआ कि, एक शाही मोहल्ला तवायफों की हत्यास्थल बन गया। ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ की असली कहानी क्या है?
‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ की कहानी
लाहौर, पंजाब के राजा हीरा सिंह नाभा के नाम पर पाकिस्तान का एक “शाही मोहल्ला” है। इसे पाकिस्तान का रेड लाइट जिला भी कहा जाता है। मुगलकाल में तवायफों ने यहां की संस्कृति को संगीत और नृत्य से प्रस्तुत करते हुए तमीज और तहजीब की मिसाल दी जाती थी, लेकिन बाद में ये “शाही मोहल्ला” धीरे-धीरे वेश्यावृत्ति का केंद्र बन गया और “हीरामंडी” नाम से मशहूर हो गया ।
संस्कृति और विरासत
वास्तव में, 15 वीं और 16 वीं सदी में यहां एक अलग ही संस्कृति थी। यहां राजाओं और राजकुमारों को संस्कृति और विरासत की जानकारी दी जाती थी, इसलिए इसे “शाही मोहल्ले” के नाम से जाना जाता था। हालांकि, कहा जाता है कि समय बदलता गया और इस “शाही मोहल्ले” को ना जाने किसकी नजर लग गई, जिससे यह मुगलों की बिलासिता का अड्डा बन गया।
वेश्यावृत्ति का केंद्र बन गया ‘शाही मोहल्ला’
कहा जाता है कि, अहमद शाह अब्दाली ने जब heeramandi पर हमला किया तब इसका नाम वेश्यावृत्ति से जोड़ा गया था। महिलाओं को इस हमले के बाद गुलाम बनाने के अलावा, सैनिकों ने उनके साथ शादी की, और ब्रिटिश शासन आते-आते ये “शाही मोहल्ला” वेश्यावृत्ति का केंद्र बन गया। फिर अंग्रेजों ने धीरे-धीरे “हीरामंडी” की लोकप्रियता खो दी और तवायफों को प्रॉस्टिट्यूड कहना शुरू कर दिया।
वेब सीरीज में दिखेगी ‘हीरामंड़ी’ की कहानी
फिर यह नगर बदनाम हो गया। धीरे-धीरे तवायफों को जबरदस्ती सेक्स वर्कर बनाया गया और लोगों को इस जगह का नाम लेने में शर्म आने लगी। संजय लीला भंसाली अब इसी कहानी को अपनी वेब सीरीज में दिखाने के लिए तैयार है।