शनि प्रकोप से मुक्ति लिए घर में अपनाये ये उपचार! सारे कष्ट होंगे दूर

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सभी 9 ग्रहों में सबसे खतरनाक गुस्सा शनिदेव का माना गया है। लोग इन्हें शांत रखने के लिए न जाने क्या-क्या उपाय करते हैं। कहा जाता है कि जिसकी कुंडली में यह ग्रह गलत भाव में होता है, उसके कष्टों की कोई सीमा नहीं होती है। हम यहाँ बताने जा रहे शनि देव को खुश करने के कारगर तरीके !

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सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा आराधना को समर्पित होता हैं , वही शनिवार का दिन भगवान श्री शनि महाराज की पूजा के लिए उत्तम माना जाता हैं। शनिवार के दिन भक्त भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं।ऐसा माना जाता हैं कि ये सब करने से शनि महाराज की कृपा मिलती हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर शनिवार के दिन कुछ खास कार्यों को किया जाए तो शनिदेव जल्दी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं और सभी परेशानियों से दूर करते है साथ ही साथ साढ़ेसाती व ढैय्या से भी छुटकारा मिल जाता हैं, तो आज हम आपको उन्हीं कार्यों के बारे में बता रहे हैं।

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शनिवार के दिन क्या करें ?shani chalisa

1. शनिवार के आसान उपाय— अगर आप शनि महाराज को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद लेना चाहते हैं तो शनिवार के दिन संध्या के समय हनुमान जी की पूजा करें हनुमान पूजा में आरती के लिए दीपक जलाएं तो इसमें काले तिल का उपयोग करें। मन जाता है की ऐसा करने से शनि देव की कृपा बरसती हैं। इसके अलावा आप शनि के प्रकोप से बचने के लिए हर शनिवार को शनि यंत्र की स्थापना ओर यंत्र का पूजन कर सकते है शनि की साढ़ेसाती से बचने के लिए शनिवार के दिन शनि यंत्र के सामने सरसो का दीपक जलाकर इसकी सात ही पुश्प चढ़कर शनि के साढ़ेसाती से राहत पा सकते है !

2 . शनि साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति के लिए शनिवार के दिन शनि यंत्र के सामने सरसों तेल का दीपक जलाएं इसके बाद नीले पुष्प चढ़ाएं ऐसा करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत मिलती हैं। अगर आज यानी शनिवार के दिन शनि महाराज की पूजा में काले चने चढ़ाए इसके बाद इस चने को भैंस को खिला दें और थोड़ा चने कुष्ठ रोगियों को बांट दें। माना जाता हैं कि ऐसा करने से जीवन की हर परेशानी व कष्ट से बहुत राहत मिलती हैं।

3 . शनि के प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन काले गुलाबजामुन कौवों को खिला सकते है साथ ही शनि चालीसा पढ़ सकते है ।

4. शनिवार के दिन रोटी में सरसो का तेल लगाकर काले रंग के कुत्ते को रोटी खिलाये और ऐसा प्रत्येक शनिवार को करने से शनि देव प्रसन्न होंगे।

5. कहा जाता है की शनि देव काला रंग से बहुत पसंद करते है ऐसी काले रंग की वस्तुएँ जैसे की काले रंग के पशु पक्षियोको हर शनिवार के दिन भोजन करवाऐ साथ ही इसके काले रंग से बनी हुई वस्तुएं जैसे की लोहा आदि को दान करे ।

6. ज्योतिष शास्त्रो के अनुसार सात मुखी रुद्राक्ष शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है यह सात रुद्राक्ष धारण करने से शनि देव कृपा बरसते है यह रुद्राक्ष धारण करने से शनि ग्रह से संबंधित सारे दोष दूर हो जाते है शास्त्रों के अनुसार इस रुद्राक्ष को सोमवार या शनिवार के दिन धारण करने से शनि के दोषो से रहत मिलती है !

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शनि चालीसा:shani chalisa

“जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥”

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जयति जयति शनिदेव दयाला।

परम विशाल मनोहर भाला।

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।

पर्वतहू तृण होई निहारत।

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।

बनहूँ में मृग कपट दिखाई।

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।

रावण की गति-मति बौराई।

दियो कीट करि कंचन लंका।

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।

हार नौलखा लाग्यो चोरी।

हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।

तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों।

तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।

आपहुं भरे डोम घर पानी॥

तैसे नल पर दशा सिरानी।

भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।

पारवती को सती कराई॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा।

नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।

बची द्रौपदी होति उघारी॥

कौरव के भी गति मति मारयो।

युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।

लेकर कूदि परयो पाताला॥
शेष देव-लखि विनती लाई।

रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना।

जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।

हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु काजा।
सिंह सिद्धकर राज समाजा॥
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।

मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।

चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा।

स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥
समता ताम्र रजत शुभकारी।

स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।

दीप दान दै बहु सुख पावत॥
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

दोहा
पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार।
करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

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