पुलिस या सेना में भर्ती होने से पहले भूलकर भी न करें ये गलती

police recruitment rules

Police Army Recruitment Rules Latest Update: पुलिस भर्ती और सेना भर्ती के लिए जो देशभर से युवा तैयारी कर रहे हैं. उनके लिए एक बहुत जरूरी खबर आई है। अगर आप भी भर्ती के लिए आवेदन करते हैं. तो भूल कर भी ऐसी गलती न करें । जिससे आपको भी जिंदगी भर पछताना पड़ेगा। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस भर्ती और सेना भर्ती को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। जिसमे आवेदक अपना आवेदन करते समय अतीत और चरित्र से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी को छुपाता हैं, तो आवेदक को जानकारी छिपाना महंगा पड़ सकता है । जांच पड़ताल के दौरान पता चला कि, आपने अतीत के बारे में जानकारी छिपाई है। तो इसका खामियाजा आवेदन कर्ता को भुगतना सकता है !

 

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स्टेट हाईकोर्ट का फैसला हुआ रद्द


सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बताया कि, अगर कोई आवेदक पुलिस भर्ती या सेना में भर्ती (police recruitment rules ) के लिए आवेदन अप्लाई करता है। और वह कोई भी आपराधिक मामले में बरी होता है. लेकिन वह आवेदन करते समय इसका जिक्र नहीं करता है तो ऐसे में आवेदक को अयोग्य ठहराया जायेगा। सुप्रीम कोर्ट जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल ने तमिलनाडु याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि, स्टेट हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया गया है। जिसके मुताबिक हाईकोर्ट ने एक आवेदक को नियुक्ति देने का आदेश दिया गया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि, पुलिस भर्ती और सेवा भर्ती (police recruitment rules) की तैयारी करनेवाले नौजवानों का क्रिमिनल बैकग्राउंड नहीं होना चाहिए। यह सभी जानकारी आवेदक को आवेदन करते समय पूछी जाती हैं।

 

एक याचिकाकर्ता जानकारी छिपाना पड़ा महंगा


सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अगर कोई आवेदक अपने क्रिमिनल रिकॉर्ड की जानकारी नहीं बताता है. तो ऐसा माना जाएगा कि, आवेदक ने जानबूझकर जानकारी छिपाई है। और इसी के आधार पर आवेदक को नौकरी के लिए अयोग्य किया जायेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जानकारी देते हुए कहा है कि,जे रघुनीस नामक व्यक्ति पर मारपीट करने का केस दर्ज हुआ था। लेकिन उसने जब पुलिस भर्ती के लिए आवेदन किया तो उसने यह बात छुपाई थी। किसी मामले में यह बात सामने आए तो पुलिस विभाग ने उसे पद से निकल दिया। और पीड़ित व्यक्ति ने न्याय के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन मामला यहीं तक नहीं रहा यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया और सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला पुलिस विभाग के तरफ से सुना दिया था