Shani Shingnapur: ऐसा गांव जहां घर के मुख्य दरवाजों और बैंकों में भी नहीं लगते लॉक

shani shingnapur

shani shingnapur:अहमदनगर जिले में शिरडी से 65 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध शिरडी मंदिर है। यह लोकप्रिय मंदिर शनि ग्रह से संबंधित प्रसिद्ध हिंदू देवता शनिदेव को समर्पित है। पूरे भारत में स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के बीच मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। मंदिर के अलावा, शिंगणापुर एक छोटा सा गाँव है। इस गाँव की ये खासियत हैं कि, यहाँ किसी भी घर में दरवाजे नहीं है। साथी ही इस गांव में चोरी भी नहीं होती है। आज हम आपको ऐसी ही दिलचस्प फैट्स के बारे में जानकारी देने वाले हैं—

शनि शिंगणापुर गांव – Shani Shingnapur village

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के नेवासा तालुका में एक गांव का नाम शनि शिंगणापुर है, जो भगवान शनि के प्रसिद्ध मंदिर के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है।

शनि शिंगणापुर मंदिर एक जीवित मंदिर है  

शनिदेव का यह मंदिर जीवित मंदिर है। इसका अर्थ है कि, इस मंदिर के भगवान, या देवता, अभी भी यहां मौजूद हैं। माना जाता हैं की शनि देव अभी भी काले पत्थर में मौजूद हैं। यह भी एक कारण है कि, ये मंदिर भारत के लगभग हर क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध है।

स्वयंभू हैं यहाँ के देवता

स्वयंभू का मतलब है कि, कुछ भी अपने आप बन गया है। यह सच है कि भगवान शनि काले पत्थर के रूप में धरती पर आए थे। कोई नहीं जानता कि, किस समय में शनि भगवान काली मूर्ति के रूप में धरती पर आए थे। लेकिन, माना जाता हैं कि, कलियुग की शुरुआत में कुछ चरवाहों को ये काली मूर्ति मिली थी।

इस गाँव में घरो को नहीं लगाए जाते लॉक

शनि शिंगणापुर विश्व भर में एकमात्र गांव है जहां घरों में दरवाजे और ताले नहीं लगाए जाते और सबसे दिलचस्प बात यह है कि, वहाँ चोरी भी नहीं होती है। गांव में स्थित राष्ट्रीयकृत यूको बैंक की शाखा के भी दरवाजे खुले हैं। मान्यता है कि, शनिदेव की निगरानी वाले गांव में चोर चोरी नहीं कर सकते, और जो कोई ऐसा करने की कोशिश करता है, तो उसे दैवीय दंड मिलता है।

खुले आसमान के नीचे हैं मंदिर

शनि शिंगणापुर मंदिर में भगवान शनि की मूर्ति खुले आसमान के नीचे है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों है? यह एक छोटी सी कहानी है। उस रात, जब मूर्ति चरवाहों को मिली, भगवान शनि ने एक चरवाहे को सपना दिखाया। और उसे मूर्ति की पूजा के तरीकों के बारे में बताया था। तब चरवाहों ने भगवान शनि से पूछा कि, क्या उन्हें मूर्ति के लिए एक मंदिर बनाना चाहिए या नहीं। शनिदेव ने कहा कि, छत की कोई जरूरत नहीं है। मेरी छत सारा आकाश है। यही कारण है कि, आज भी भगवान शनि की काली प्रतिमा आसमान में खुली है।

क्यों नहीं थी महिलाओं को भीतरी गर्भगृह में जाने की अनुमति

शनि शिंगणापुर मंदिर के गर्भगृह में पहले महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन तिरुपति देसाई, एक सामाजिक कार्यकर्ता, के नेतृत्व में 26 जनवरी 2016 को 500 से अधिक महिलाओं ने मंदिर तक मार्च किया था । वे मंदिर के गर्भगृह में जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उनका रास्ता रोका। लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट ने 30 मार्च 2016 को महाराष्ट्र सरकार को मंदिर के आंतरिक गर्भगृह में महिलाओं को प्रवेश देने का आदेश दिया था ।

कैसे पहुंचें शनि शिंगणापुर मंदिर

शनि शिंगणापुर मंदिर तक पहुंचने के लिए 90 किलोमीटर दूर औरंगाबाद हवाई अड्डा है। किंतु पुणे हवाई अड्डा मंदिर से 161 किलोमीटर दूर है और नासिक हवाई अड्डा 144 किलोमीटर दूर है। यदि आप हवाई अड्डे से शनि शिंगणापुर जाना चाहते हैं, तो आप बस या कैब लेकर मंदिर जा सकते हैं

सड़क मार्ग शनि शिंगणापुर कैसे पहुंचे ?

MSRTC – महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें शिरडी, राहुरी, अहमदनगर, पुणे, वाशी और मुंबई आदि महाराष्ट्र के सभी प्रमुख स्थानों से आसानी से मिलती हैं, इसलिए सड़क मार्ग से प्रसिद्ध शनि शिंगणापुर मंदिर आसानी से पहुँचा जा सकता है। इसके अलावा, कोई भी निजी बस, टैक्सी या कैब लेने का विकल्प भी ले सकते है।

ट्रेन से शनि शिंगणापुर कैसे पहुंचे ?

ट्रेन मंदिर और सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ी हुई है। मुंबई, पुणे, दिल्ली, गोवा, अहमदाबाद, बेंगलुरु, शिरडी और चेन्नई इस मंदिर से जुड़े कुछ बड़े शहर हैं। किंतु शनि शिंगणापुर का निकटतम रेलवे स्टेशन राहुरी है, जो 32 किलोमीटर दूर है। साथ ही मंदिर अहमदनगर से 35 किलोमीटर, श्रीरामपुर से 54 किलोमीटर और शिरडी रेलवे स्टेशन से 75 किलोमीटर दूर है।

Disclaimer

इस लेख में दी गई जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए हैं !यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Good Reader Hub इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले किसी संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें ।